जोम्बी बन जो फिरे
रहे न काबू कोय
रहे न काबू कोय
कोई उठाय कार्डबोर्ड
गलत सलत बौराये
इच्छा मन मे रहे
कई हिलोरे खाये
हिन्दू को कैसे डसे
मौका कोई न जाये
वीर्यवान गुब्बारा भयो
फूटे तरुणी के सर
दिव्यदृष्टि सो भांप लियो
हिन्दू को ये काम
भगवा रहित भूमि पर
खून बह रहो लाल
सनातनी सोचे खड़ो
झटकों या हलाल
19 अप्रैल 2018
No comments:
Post a Comment