Tuesday, September 18, 2018

जे एन यू से दुखी इंजीनियर बंधु

कुछ दिन पहले एक मित्र मिले, बड़े परेशान से थे इंजीनियर थे इस लिए उनके दुख सुख से भली भांति परिचय था। मैंने पूछा क्या हुआ क्यो मुँह लटकाए घूम रहे हो। बोले क्या बताऊँ अपनी पूरी शिक्षा ही बर्बाद लगती हैं। 

क्या हम इतने गये गुजरे हैं की हमको कोई टीवी की बहस में नही बुलाता पूरा जीवन व्यर्थ है। जब इंजिनीरिंग करी थी तो बिल्कुल नहीं सोचा था की एक दिन एक jnu वाले के सामने हम बेमतलब और आउट ऑफ स्पेस लगेंगे। 

मैंने पूछा किस jnu वाले से आप अपना मापदंड कर रहे हो साइंस वाले से या हयूमैनिटिज़ वाले से। क्योंकी साइंस वाले तो ज्यादा चर्चा में रहते नही हैं। आर्ट्स और नॉन साइंस वाले ही ज्यादा लाइमलाइट में लिपटे नज़र आते हैं।

वो बोले कुछ भी हो भाई नॉन साइंस वालो का जलवा हैं।

बाबू ऐसा न सोचो, jnu थोड़ा दूसरे टाइप का जगह हैं उहा पीपल का पेड़ के मोटी डाल पे सुना हैं भूत भूतनियों ना ना प्रकार की क्रियाएं करती हैं।

जो ऊपर नही चढ़ पाते वो पीपल के नीचे ही अपना जमघट जमा लेते हैं।

तोहार जैसा सीधा साधा उहा जायके सीधा नही रह पाता जैसा पलंग के ऊपर निवाड़ बुना जाता हैं ना सलीक़े और कायदे से पर परत दर परत होने से मजबूत हो जाता हैं वैसे यह भूत भूतानिया लोग तुम पर जादू टोना करके उल्टा सीधा इतिहास के इर्दगिर्द बुन दिया होता तुमको।

बाल मन कोमल होता हैं कुछ भी समझा दो समझ जाता हैं।

मिया मार्क्स एक ऐसा साहित्य इन भूत भूतानिया लोगो को दे के गये हैं की दुनिया में करोड़ों इन्ही मार्कसुआ के चक्कर में भूतगति को प्राप्त हुए।

उल्टे पैर वाले जब संघर्ष, मालिक, नौकर, बुर्जुआ, लाल सलाम, हँसिया और हथौड़ा सब की बात करते हैं तो बाल मन मुग्ध हो जाता हैं, सिगरेट के धुएं में संघर्ष करता किसान का वृतांत, thermodynamics, स्ट्रेंथ ऑफ machines एंड मटेरियल, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक, fourier transform से कही ज्यादा रूमानी लगता हैं "अमार नाम तूमार नाम वियतनाम वियतनाम" का नारा सस्ती व्हिस्की और महंगी विचारधारा के संभोग से जन्म लेकर वीर्यवान गुबारे में समा कर जब किसी के ऊपर तथाकथित ब्रह्मांड की सबसे कुटिल कुत्सित सोच वाली प्रवर्ति धारण किये हुए लोगो के समूह जिसकी संख्या निरंतर दक्षिण पथ अग्रसित हैं उसके तथाकथित रंग भरे त्योहार के पहले पड़ता हैं तो पता लगता हैं की jnu में पढ़ा हुआ बच्चा iit से पढ़े हुए बच्चे का कैसे बाप हो जाता हैं।

इस लिए बाबू जो अलख जगाने निकले हो बिना jnu जाकर उसका धन्यवाद मार्तण्ड मंदिर में चढ़ा देना नही तो अलख जलाना और आग लगाना करीब करीब ही हैं।

बाकी बाबू समझदार तो तुम बचपन से हो पर कभी घमंड नही किया होगा, पर अब समझदार के साथ असरदार बनो


जय श्री राम


20 अप्रैल 2018

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