Tuesday, September 18, 2018

शौरी साहब का दर्द

बन चकोर बीती उमरिया
चांद देखी हर दिन दुपहरिया
मन शंकित एक रोज भयो
चांद पे मोहे मन डसयो
दाग गड्ढे धुंधले से
पूरे पूरे साफ भये
चकोर प्रेम का बंधन टूटा
रो रो सारे रिश्ता फूटा
आंख साफ भई या
काई जमी
चांद छोड़ उल्कायें दिखी
अब मन पिंडों में उलझा
सुलझा मन भूत बन लटका




3 सितंबर 2018

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