वक्त की तलाश मैं अब हालात यूँ हैं की
दरख़्त से जुदा होकर भी पत्तो का दरख़्त से इश्क़ का शौक काम नहीं हैं।
गिरे गर्द पे लथपथ पड़े यह शौक हैं की परिंदे उठाकर उस दरख़्त पे अपने घरोंदे ही बना ले।
जो रुक गए वह पस्त नहीं हैं
उनको उड़ने को आसमान अभी
खुला नहीं हैं।
जो उड़ गए वह अभी जमे नहीं हैं
उनका उड़ना थमा नहीं है
साथ मैं उड़ कर मंजिल पाएंगे हम
मेरे दोस्त अभी यह मंजर बदला नहीं हैं
22 जून 2016
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