अगर सारी राजनेतिक पार्टियां भाजपा हटाओ के नारे तले एक जुट होती हैं तो एक प्रश्न मन में उभरता हैं की अगर कही वो सब यह करने के बाद भी हार गए तो उनके अस्तित्व का क्या होगा।
अगर अलग अलग लड़ते हैं तो कुछ अस्तित्व बना रहेगा और यह छलावा भी रहेगा की अगर एक हो के लड़ते तो जीतते ?
19 मार्च 2018
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