Tuesday, September 18, 2018

तुझको अर्जुन बनना है

अंधियारे में छुपा हुआ है सूर्य
पर सूरज गया नही है
अँधियारा अमर हो
ऐसा हुआ नही हैं
हर कुछ वर्षों में
क्यो वो भिक्षु बन जाता हैं
कही हर बार मदद मिलने से
उसका हाथ उठ जाता हैं
कई वर्गो के कर्म
बनते और बिगड़ते हैं
पर हर कोई तो सड़कों
पर नही उतरते हैं
कुछ रंग भीड़ के
क्यों जाने पहचाने लगते हैं
किसी का मतलब सध जाने पे
अनजाने से लगते हैं
कुछ रेवड़ी आज मिली
तो क्या कल सुन्दर होगा
अगर हकीकत न बदली तो
फिर से वो सड़क पर होगा
हैं ऐसी आशा मुझको की
कल सुहाना होगा
रात थोड़ी लंबी हैं
पर इसको बदलना होगा
अपने जीवन में मैंने
कई आंधिया देखी हैं
आंधियो के बाद रेत
फैलती देखी हैं
बदलावों के पड़ाव
आंधियो से नही आते
बस छड़ भर मैं सब बदलने
वाले लोग नही देखे
जब अकस्मात् से
कई भंवर बन जाते हैं
चक्रव्यूह के चक्र
धरा पे रच जाते हैं
अर्जुन या अभिमन्यु क्या
बनना हैं बोलो
अभिमन्यु बनकर तो
बस तुमको वीर होना हैं
लक्ष्य अगर तेरा
चक्रव्यूह का मर्दन हैं
कोई उपाय नही केवल
तुझको अर्जुन होना हैं



12 मार्च 2018

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