Tuesday, September 18, 2018

आंखों देखी मन से टटोली कलम से लिखी

गिद्धों के गिरोह के मुखिया और मुखियेने जब चार दिन में चालीस सेकण्ड्स की कोई बात अकस्मात कर देते हैं तो गिद्ध गिरोह के समर्थक चालीस दिन तक चहुँओर चिचाहते रहते हैं।

यही जब गरुण दल के मुखिया गलती से कुछ गलत बोल दे तो गिद्ध तो टूट पड़ते ही हैं गरुण दल के समर्थक ही मुखिया पर पिलपड़ते हैं।

गरुणेश की बातों का पोस्टमार्टम रोज अनवरत रूप से चलता है, इससे पहले के मुखियाओं पर नजरें इनायत करे तो पता चलेगा जो बोल नही सकते वो अति वाचाल देश पर थोपे गये।



25 मई 2018

No comments: