Tuesday, September 18, 2018

चार साल के बाद

ऐसा क्या हुआ हैं पिछले 4 सालों में की

द्रविड़ देश का विचार पनपने लगा
चार साल सत्ता भोग करने के बाद तेलगुदेशम पार्टी को सौतेलापन सताने लगा।
राज ठाकरे, और शिवसेना को कांग्रेस से समझौता करने में कोई वैचारिक मतभेद का प्रश्रचिन्ह दिखाई नही देता।

लोकजनशक्ति पार्टी को दलितों और अतिपिछड़ों की याद आ गई
घुर विरोधियों के बीच में गठबंधन की गोष्ठी होने लगी
सपा-बसपा, तृणमूल-वामपंथी
ऐसा क्या हो रहा है
किसान आंदोलन भाजपा शाषित प्रदेशों में हो रहे हैं
हिन्दुओ में विघटन पनप रहा हैं

कर्नाटक में लिंगायत नया पंथ बनने पर अग्रसर है
ये सब एक समय अंतराल में किसी पूर्वनिर्धारित पटकथा के रूप में मंचित हो रहा हैं।
सब ऐसे अकस्मात् हो रहा हैं क्यो ?




19 मार्च 2018

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