इतनी बोखलाहट क्यों दिखा रहे हो
क्या इतना गहरा घाव मिला हैं जो सरेआम पगला रहे हो।
तुम्हारी सारी ईमानदारी तो घुल गयी पहले ही
अब क्यों तुम ही सबसे बड़े बेईमान हो दिखला रहे हो।
झाड़ू पकडे बैठे रहे काम करा ना कोई
धन सारा कला लिए बाकि बचा न कोई
सब कुछ काला खोके दिल्ली में कर रहे नाटक
Demonitization के साइड इफेक्ट्स दिख रहे वाणी मैं तेरे
उड़ता तीर हवा में लक्ष्य को बेध देता हैं
अंदर लेने पे ऐसे ही व्याकुल शरीर होता हैं
तुम ईमानदारी का बस चोला पेहेन सकते हैं
काले धन पर बस बात बहुत कर सकते हो
जब जीवट दिखाने का समय मिला भरपूर
तुम आलापते राग ढेंचुसुर
लाइन मैं लगकर देश ने मंशा कर दी हैं उजागर
यही वजह तुमको लगता हैं करती बहुत घायल
बदलेगा अब समय बराबर लोग खड़े ठसक कर
अगली बार तुम्हे कर देंगे दिल्ली वाले बाहर
17 नवंबर 2016
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