Tuesday, September 18, 2018

झाड़ू वालो की झुंझलाहट

इतनी बोखलाहट क्यों दिखा रहे हो

क्या इतना गहरा घाव मिला हैं जो सरेआम पगला रहे हो।

तुम्हारी सारी ईमानदारी तो घुल गयी पहले ही
अब क्यों तुम ही सबसे बड़े बेईमान हो दिखला रहे हो।


झाड़ू पकडे बैठे रहे काम करा ना कोई

धन सारा कला लिए बाकि बचा न कोई


सब कुछ काला खोके दिल्ली में कर रहे नाटक

Demonitization के साइड इफेक्ट्स दिख रहे वाणी मैं तेरे


उड़ता तीर हवा में लक्ष्य को बेध देता हैं

अंदर लेने पे ऐसे ही व्याकुल शरीर होता हैं

तुम ईमानदारी का बस चोला पेहेन सकते हैं

काले धन पर बस बात बहुत कर सकते हो


जब जीवट दिखाने का समय मिला भरपूर

तुम आलापते राग ढेंचुसुर


लाइन मैं लगकर देश ने मंशा कर दी हैं उजागर

यही वजह तुमको लगता हैं करती बहुत घायल


बदलेगा अब समय बराबर लोग खड़े ठसक कर

अगली बार तुम्हे कर देंगे दिल्ली वाले बाहर




17 नवंबर 2016

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