अब तो वो भी कतरा के निकल जाते हैं
में हिन्दू हूँ यह बतलाकर चले जाते हैं
में हिन्दू हूँ यह बतलाकर चले जाते हैं
में क्यों इतनी चिंता में मगन हूँ
की में हिन्दू हूँ
की में हिन्दू हूँ
गीता वेद का क्यो शौक चर्राया
किस चक्कर में पड़े हो भाया
किस चक्कर में पड़े हो भाया
गीता सार तो बहुत प्रचलित हैं
फिर तुझको क्या खिचखिच हैं
फिर तुझको क्या खिचखिच हैं
कुछ तो हैं पर छुपा हुआ
घने धुंए में घिरा हुआ
घने धुंए में घिरा हुआ
मस्तिष्क चिंतित करे चिन्तन गंभीर
तर्क हो रहे शून्य में विलीन
तर्क हो रहे शून्य में विलीन
अनमने मन में मौन लेकर
बढ़ता रहा यक्ष प्रश्न लेकर
बढ़ता रहा यक्ष प्रश्न लेकर
बुझाये कौन की
क्यो ये हालत हैं
घूमता इन विचारों की भवंर में
टकरा गया घूमता हुआ ठहरी भीड़ से
हो गई साफ हर धुंध
जब ठिठक में खड़ा हुआ
सामने उसके मेरे प्रश्न का पुलिंदा खुला
पूछ मुझको हतप्रद किया
प्रश्न उसने मुझसे बड़ा ही तीखा किया
प्रश्न उसने मुझसे बड़ा ही तीखा किया
कौन से हिन्दू हैं श्रीमान जी
जरा बताएंगे
जरा बताएंगे
अपने हिन्दू वृक्ष की गाथा
मुझे सुनाएंगे
में तुनका 'साहब यह क्या आप कर रहे
मेरे प्रश्न पर आप मुझसे ही प्रश्न कर रहे'
मेरे प्रश्न पर आप मुझसे ही प्रश्न कर रहे'
भकुटी उनकी भी दबाव में आ गई
स्वर उनका भी अब ऊंचे उठान पे था
स्वर उनका भी अब ऊंचे उठान पे था
आप का यही मसला हैं ना
की आप हिन्दू हैं
की आप हिन्दू हैं
यह राग गाकर गधर्ब क्रुन्दन
हमेशा आप करते हैं
अकेले आप ही हैं बस
जो हिन्दू हिन्दू करते है
बड़े दंभ से चाल टेढ़ी चलते हैं
पूछता हूँ मैं कौनसे हिन्दू हो तुम ?
में भी ताव में आकर लाल तवा हो गया
"मेरे प्रश्न को गौर से सुनने के बाद उत्तर दे
में हिन्दू हूँ बस इतना बोला हैं और आप मुझसे
पूछते हैं में कौनसा हिन्दू हूँ"
"मेरे प्रश्न को गौर से सुनने के बाद उत्तर दे
में हिन्दू हूँ बस इतना बोला हैं और आप मुझसे
पूछते हैं में कौनसा हिन्दू हूँ"
कोई अंतर हैं क्या, दोनों एक हैं कोई भेद हैं क्या ?
हँसा धीमे से ही वो
पर हँसी कर्ण भेद गई ।
पर हँसी कर्ण भेद गई ।
लज्जा में सिमट के
रही सही इज्जत मेरी धूल हो गई
तो बताइए महाशय
कोन से हिन्दू हो
कोन से हिन्दू हो
इन विकल्पों के किस वर्ग के
सही उत्तर हो तुम
तुम शिव को मानते हो या कृष्ण को
राम के भक्त हो या नारायण के
राम के भक्त हो या नारायण के
कार्तिकेय को पूजते हो या गणेश को
दुर्गा से डरते हो या काली से
हनुमान आत्मीय हैं या भैरव
इन सबसे इतर हो तो ये बतलाओ
यादव हो या सोनकर
जाटव हो या जाधव
मल्लाह हो या सुनार
मराठा हो या गुर्जर
पटेल हो या राजपूत
कायस्थ हो या खत्री
पंजाबी हो या रविदासी
हरिजन हो या दलित
औरत हो या आदमी
आस्तिक हो या नास्तिक
काले हो या गोरे
ओड़िया हो या तमिल
गुज्जू हो या चिंकी
गंगावासी हो या नर्मदे टटी
बताओ इन विकल्पों में से
कौन सा विकल्प हो
कौन सा विकल्प हो
अभी तो मूरखनंदन तुम्हे
अति सीमित विकल्प दिये हैं
यह तुम्हे सिर्फ सामाजिक झांकी दिखाई हैं
तुम्हारे आर्थिक और परिवारिक पे
तो बस नजर ही गड़ाई हैं
तू हिन्दू हैं बड़ा दंभ भरता है
अभी तो तेरे परिवार के अंदर का
वर्गीकरण शेष हैं
अभी तो तेरे परिवार के अंदर का
वर्गीकरण शेष हैं
बता अब मेरे प्रश्न का क्या वजन कम था
क्यो बोलती बंद और माथे पे पसीना बहुत हैं
मेरे प्रश्नोत्तर की क्षमता समाप्त हो गई
नये प्रश्नों का द्वंद अकाल मृत्यु को प्राप्त हुआ
नये प्रश्नों का द्वंद अकाल मृत्यु को प्राप्त हुआ
अब मैं हिन्दू हूँ या नही यह चित्र ही मिट गया
जन्म से पहले ही अभिमन्यु चक्रव्यूह में घिर गया
वर्गो के खंड में खंडित हो कर पड़ा रहा
लेशमात्र भी संघर्ष क्षमता से हटा रहा
लेशमात्र भी संघर्ष क्षमता से हटा रहा
सदियों और सहस्त्रशताब्दियों से
कायम रहा जो हिन्दू
वो धीरे धीरे नेपथ्य में सिमट रहा
शक्तियों के प्रहार से गुदा हुआ
शरसय्या पर अधमरा पड़ा हुआ
धूलधूसरित शेष स्वांस से संघर्षमय
राम राम करता अंशमात्र भी
किसी के चिंतन अब नही रहा
21 मार्च 2018
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