जीवन चक्र
सूर्य जब उदय हुआ
जीवन सक्रीय हो उठा
सूर्य जब अस्त हुआ
जीवन निष्क्रिय हो गया
उदय अस्त के इस क्रम में
जीवन का सब सार छुपा
पाप पुर्ण की व्यथा छुपी
धर्म -अधर्म का मार्ग छुपा
समझो तो यही स्वर्ग हैं
समझो तो यही नर्क हैं
कर्मों की कहानी मैं
जीवन का सारांश छुपा
कथा कर्म की इतनी हैं
सुख दुख सी यह अपनी हैं
अपने कर्मों की करनी
इस जीवन ही मैं भरनी हैं
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