इतना क्या मोदी को कोसना भाई लोग
कुछ तो सोचो
आपके घर का ही हैं
घर से ही अगर साथ नही मिलेगा तो क्या होगा ?
माना की बहुत कुछ हमारी आशाओं के अनुरूप नही हो रहा
इसका मतलब यह तो नही हैं की हम इतने कुंठित हो जाये की शाप देने लगे।
कुछ भी नही बदल हैं क्या या जो बदला हैं वो हमें नही दिखाई दिया क्योंकि हमारे आस पास हमारे प्रभाव क्षेत्र में नही बदला।
30 साल के बाद सत्ता में आमूलचूल परिवर्तन आया हैं।
इस टेक्नोलॉजी प्रबुद्ध युग में खबरे घटने से पहले घट जाती हैं विधुत गति से संपर्क स्थापित हो जाता हैं।
पुराना कुछ भी यथा स्वरूप लागू नही हो सकता।
बदलाव के कई आयाम हैं
कुछ आयामो में हम हैं. कुछ में नही।
पर मेरा निजी मत हैं की अपने ही अगर इस तरह कुंठित हो जाएंगे नकारात्मक हो जाएंगे तो वृहद हिन्दू परिवार बिखर जाएगा।
कई मोदी लगेंगे सम्पूर्ण बदलाव में पर उतने हैं नही।
इसलिए या तो मोदी बनाने पड़ेंगे या ढूंढने पड़ेंगे या खुद मोदी बनना पड़ेगा।
बदलाव की मंथर गति को तीर्व करना भगीरथ प्रयास होगा
एक मोदी को बनाये रखे और दूसरे मोदी को लाये पर सत्ता सूत्र को खंडित न होने दे।
खंडित होने के बाद फिर जटिल प्रयासों के बाद सत्ता प्राप्त होगी।
अपने जीवन काल में सम्पूर्ण परिवर्तन के लिए परिवार अखंड रखना होगा
कुछ कमियों को खाई न बनने दे पाटने में हमारे जीवनकाल के साथ हमारे बच्चो के जीवनकाल भी खप जाएंगे
19 मई 2018
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