Tuesday, September 18, 2018

खेल को खेलिए पर इतने न खेलिए

टाइम्स नाउ पर जो हो रहा हैं वह खेल भावना नहीं हीनं भावना हैं जो खेल खेलते हैं वह हारते भी हैं और जीतते भी हैं गलतिया हो जाती हैं और उस समय हमारी प्रतिक्रिया जायज भी हो सकती हैं पर हर हार को स्वाभीमान से लगा लेना गलत हैं।

कौन खिलाड़ी चाहता हैं की वह हार जाये।

हम क्या अपने खिलाडीयो को अपना जरखरीद गुलाम समझते हैं की वह हमारी हमेशा जीतने की हीन भावना को कायम रखेंगें।

वोह जोकर कमाल आर् खान कहता हैं की जेक अनुष्का के घर पर पत्थर फेंको क्यों क्या हम तालिबानी हैं ।

टी आर् पी की अंधी दौड़ मैं भागते हुए किसी चैनल और जजपाती हिन्दुस्तानियों ने यह नहीं सोचा की इस क्रिकेट टीम के कप्तान ने अभी तक अपनी बच्ची को गोद मैं नहीं उठाया हैं।

शर्मनाक यह भी हैं की अराजक तत्वों से बचने के लिए उसके घर के बाहर सुरक्षा बलो को तैनात किया गया हैं।

उसकी क्षमता पर सवालिया निशान उठाने से पहले अपने गिरेबां मैँ झाँक कर देखिये जनाब कितनो ने यह सोचा था की भारतीय क्रिकेट टीम यहाँ तक पहुच पाएगी और वोह भी एक शानदार अंदाज मैं।

छोड़ दीजिये जो हुआ मैदान मैं वह मैदान मैं रह गया कुछ नया इतिहास बनने दीजिये।

खेल को खेलिए पर इतने न खेलिए की खेल आपके जजपातो पर हावि होके आपके अन्दर के खिलाड़ी को मार दे।


26 March 2015

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