यूपी: 80 वाल्मीकि परिवारों ने टोपी पहनकर मांगी दुआ, कहा-कबूल कर लिया इस्लाम
http://www.bhaskar.com/news/UP-LUCK-valmiki-families-hunger-strike-in-rampur-uttar-pradesh-some-people-serious-condi-4963796-PHO.html
यह तो बड़ी सेक्युलर खबर हैं। इसलिए किसी टीवी चैनल ने इसको दिखाया भी नहीं होगा। 5 स्टार एक्टिविस्ट्स और प्रेस्टिटूट ने भी कोई खास तवज्जो नहीं दी।
सुबह से ट्विटर पर भी सेक्युलरवाद की अलख प्रवजलित रखने वाले खबरों के ठेकेदारो की तरफ से कोई विशेष टिप्पड़ी आलेख या प्रतिक्रिया भी नहीं आयी।
यहाँ मसला यह नहीं है की किसी धर्म विशेष के लोगों का किसी और धर्म मैं परिवर्तन हुआ या धर्मान्तरण हुआ।
मसला यह हैं की खबर की जितनी खबर ली गयी क्या उसका पैमाना वही था जो कुछ महीने पहले हुए एक और धर्मान्तरण मैं था।
जिस ऊर्जा और आक्रोश के साथ उस मसले को उठाया गया था वह जोश तो आज नदारत हैं यह कैसा पैमाना हैं जो खबरों को अलग अलग तराजू मैं तोलता हैं।
जहा कोई खबर नहीं हैं वह पर खबरों को जबरन खड़ा किया जाता हैं और जहा खबर हैं उससे बेखबर हुआ जाता हैं।
मसलन आज एक समाचार पत्र मैं अहमेदाबाद के दो बच्चों के स्कूलो मैं पहनी जानी वाली भगवा और हरे रंग की पोशाकों को तुस्टीकरण का जामा पहनाया जाता हैं उससे सनसनीखेज बनाया जाता हैं ऐसा दिखाया जाता हैं की धर्म विशेष के साथ घनघोर अत्याचार होता हैं।
खबरों के ठेकेदारो क्या बहुसंख्यक होना अभिशाप हैं। क्या एक धर्म दुसरे धर्म से कमतर हैं। क्या सारे अभिशाप कूरीतीयं सिर्फ एक धर्म विशेष से सम्बन्धित हैं।
यह कैसा पैमाना हैं यह कैसा धर्म संकट हैं।
14 April 2015
http://www.bhaskar.com/news/UP-LUCK-valmiki-families-hunger-strike-in-rampur-uttar-pradesh-some-people-serious-condi-4963796-PHO.html
यह तो बड़ी सेक्युलर खबर हैं। इसलिए किसी टीवी चैनल ने इसको दिखाया भी नहीं होगा। 5 स्टार एक्टिविस्ट्स और प्रेस्टिटूट ने भी कोई खास तवज्जो नहीं दी।
सुबह से ट्विटर पर भी सेक्युलरवाद की अलख प्रवजलित रखने वाले खबरों के ठेकेदारो की तरफ से कोई विशेष टिप्पड़ी आलेख या प्रतिक्रिया भी नहीं आयी।
यहाँ मसला यह नहीं है की किसी धर्म विशेष के लोगों का किसी और धर्म मैं परिवर्तन हुआ या धर्मान्तरण हुआ।
मसला यह हैं की खबर की जितनी खबर ली गयी क्या उसका पैमाना वही था जो कुछ महीने पहले हुए एक और धर्मान्तरण मैं था।
जिस ऊर्जा और आक्रोश के साथ उस मसले को उठाया गया था वह जोश तो आज नदारत हैं यह कैसा पैमाना हैं जो खबरों को अलग अलग तराजू मैं तोलता हैं।
जहा कोई खबर नहीं हैं वह पर खबरों को जबरन खड़ा किया जाता हैं और जहा खबर हैं उससे बेखबर हुआ जाता हैं।
मसलन आज एक समाचार पत्र मैं अहमेदाबाद के दो बच्चों के स्कूलो मैं पहनी जानी वाली भगवा और हरे रंग की पोशाकों को तुस्टीकरण का जामा पहनाया जाता हैं उससे सनसनीखेज बनाया जाता हैं ऐसा दिखाया जाता हैं की धर्म विशेष के साथ घनघोर अत्याचार होता हैं।
खबरों के ठेकेदारो क्या बहुसंख्यक होना अभिशाप हैं। क्या एक धर्म दुसरे धर्म से कमतर हैं। क्या सारे अभिशाप कूरीतीयं सिर्फ एक धर्म विशेष से सम्बन्धित हैं।
यह कैसा पैमाना हैं यह कैसा धर्म संकट हैं।
14 April 2015
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