Monday, August 2, 2021

खुशबू सी तेरी याद

तुम्हारी वो याद खुशबू की
अभी भी बिल्कुल ताजा हैं
थोड़ी उलझी सी सिमट गई है
पर बिल्कुल वही हैं
आज ऐसे ही दराज 
मैं से निकल आयी
वापस रखने का
दिल नही किया
सोचा की क्या धो डालें इसे
फिर ना जाने क्या सोचकर
उसे खुद ही पहन लिया
अब लगता हैं तुम यही तो हो
यु ही बस दिल पर बस पड़ी तो हो

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