ये वक़्त भी क्या कहर कर गया
ना तुझे भूलने दिया न मिला ही सका
वो दिन थे जब तेरी आँखों से नशा करते थे
अब तो तेरी आवाज भी कीमती हो गई
कब आखरी बार तुझे बाहों में लिया था
कब तेरी खुशबू का इत्र सजाया था
अब तो भीनी सी ही याद आती है
तूने सपनो में आने की भी बंदिश कर दी
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