जो बात थी वो तो कही खो गई
बस कुछ फिजूल की बात बातों में उलझे रहे
यू तो बस बात ही थी पर नश्तर सी चुभ गई
बस हम यू ही दर्द छुपाते रहे
ऐसा क्या है की मेरे नसीब में लिखा है
बिखरे कांच ही आये मेरे हिस्से में
पी कर चला गया मयखाने से वो
दो बूंद भी वो साथ पी ना सका
इतने मजबूर थे वो यू तन्हाई में भी
मुझे बोझ बताकर चले गये
ये सही है और उन्होंने सही भी किया
मुझे मेरी औकात और हैसियत बता कर चले गए
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