मरा मच्छर तो खून बहा होगा
किस किस का पिये बैठा होगा
समाजी रहा होगा
समाज का पिया होगा
मच्छर मार के क्या खोया
क्या पाया
वो मच्छर था क्या उसका दोष था
सबका खून मिला होगा
मरे मच्छर के साथ
बहा दिया
खून समाज का ही बहा दिया
निरंकुश प्रहार हैं
प्रहसन का भार हैं
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