Wednesday, February 10, 2021

एक टीस

एक टीस सी उठती हैं 
जब तेरी सिसकी सुनता हूँ
कुछ कर नही पाने की
खुद से नफरत होती हैं

सोचता यही हूँ
अगर तेरे पास होता
कुछ नही तो कम से कम
तेरे आंसू तो थाम लेता

क्यो तेरे पे गुजर रहे
हालातों का एहसास
मुझको होता हैं
तेरे दर्द से मेरा रिश्ता क्या है

कुछ हुआ है जो समझ नहीं आता
ये दर्द और ख़ुशी का रिश्ता क्या है

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