Friday, December 2, 2022

किसी कोने में

खड़ा कही किसी कोने से 
में बस देखता रहा

ना थी समझ ना था कुछ अलग
बस भीड़ में भीड़ बना रहा में

कई साल तो आगे जाने की जदोजहद रही
बस ठेलता रहा और घसीटता रहा

जब कुछ होश सा थोड़ा सा बढ़ा
तो खुले आकाश में खड़ा में रहा

तब से अबतक उतार चढ़ाव चलते रहे
जो मिला उसे अपना समझता रहा

तब जो रह गया जो न मिल पाया
तब जो में न कह पाया

अब थोड़ी हिम्मत जुटा लेता हूँ
कुछ अपने मन की भी सुन लेता हूँ

कुछ अपने मन की सुना लेता हूँ
बस थोड़ी हिम्मत जुटा लेता हूँ

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