जब तेरी सिसकी सुनता हूँ
कुछ कर नही पाने की
खुद से नफरत होती हैं
सोचता यही हूँ
अगर तेरे पास होता
कुछ नही तो कम से कम
तेरे आंसू तो थाम लेता
क्यो तेरे पे गुजर रहे
हालातों का एहसास
मुझको होता हैं
तेरे दर्द से मेरा रिश्ता क्या है
कुछ हुआ है जो समझ नहीं आता
ये दर्द और ख़ुशी का रिश्ता क्या है