Wednesday, August 21, 2019

370 अब इतिहास

अनुच्छेद 370 का हटाये जाने एक ऐतिहासिक घटना हैं, कुछ लोग जो तथाकथित शिक्षित वर्ग से आते हैं उनको लगता हैं "
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यह तो हटना था, हटा दिया को से बड़ा काम किया, हटाने के लिए तो वोट दिया था।
पर हटाने का तरीका वो नही लिया जो मैंने बताया था।
तीन राज्य क्यों नही बनाये।
पाक अधिकृत कश्मीर कहा गया उसको क्यों नहीं विलय किया।
यह केंद्रशासित कर दिया लद्दाख को पर जम्मू कश्मीर को विधानसभा चुनाव करने को क्यों बोला।
अब्दुल्ला और मुफ़्ती को साफ कर देना था।
कश्मीरी पंडितों के लिये पुनर्वास योजना क्यो नही घोषित की संसद मे ।
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इस घटना तो इतना कमतर करके आंकना दिमागी दिवालियापन का घोतक हैं, धारा 370 को क्या मन्नत का धागा समझ लिया। 70 साल पहले कोई धागा बांध कर गया और 70 साल बाद किसी ने जाकर धागा खोल दिया।

यह समझना बहुत जरूरी हैं की धारा 370 को हटाना किसी बारूद के ढेर पर मोमबत्ती जलाकर खोई हुई चीज ढूंढने के समान है।
अब बारूद का ढेर कितना सूखा या गीला हैं, ये वक़्त बताएगा।

यह समझना पड़ेगा की क्या 70 साल में कभी ऐसा वक़्त नहीं आया की 370 को हटाया जा सके। वक़्त आया नही या बेहतर वक़्त और उम्दा अवसर पैदा करने के बारे में विचार ही नही हुआ।

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रेरक विचारधारा से बंधा हुआ वर्तमान नेतृत्व कटिबद्ध था 370 को इतिहास के कूड़ेदान में फेंकने के लिए और उसने  परिस्थितियों का गठन किया। 370 अब इतिहास हैं।

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