तुम्हारे खयाल है कि सोने नही देते
यूँ बिस्तर पर पड़े बस इधर उधर करवटे बदलते हैं
इंतेजार की जिद पकड़ लेते हैं
पर तेरे मिलने का कोई वादा तो नही था।
हर रोज ये दिल बस
धड़कता ही रहता है
उधेड़बुन के दरिया में डूबा रहता हैं
बस तुझे ही तुझे ढूंढता रहता हैं
तूने कभी कोई इशारा नही किया
अपनी दुनिया में मुझे कोई सहारा न दिया
पर बावलो सा पता नही क्या सोच लेता हैं
दिल ही तो हैं कुछ ज्यादा ही सोच लेता है
ये कैसी कश्मकश में सब फसे हुऐ हैं
में तुझमे तू किसी में उलझे हुए हैं
जो हैं पास उसका इल्म न हैं
जो दूर हैं वो इन सबसे अनजान हैं
डूबते दिन गये शाम भी ढलती गई
रात में भी अब वही हो रहा है
ख़्वाबों को खुली आंखों से
देखने का जुनून जारी है
खयालो को क्या कहकर समझाए
अब कोई तो उनको बताए
यू ही ना घुटने को छोड़ मुझे
कुछ जादू सा कर की सब हकीकत हो जाये