Sunday, September 29, 2019

छोटे थे हम

जब हम छोटे हुआ करते थे
तो यकीन मानिए
हकीकत में काफी बड़े
हुआ करते थे

हमारे सपनो पर बंदिश नही थी
और ख़्वाबों के पर हुआ करते थे

शैतानी बहुत थी
चेहरे तो कुछ ख़ास
बताते नही थे
पर आँखों सब बोलती थी

यु तो कुछ कम नही था
पर कभी एहसास भी नही था

रेत के घर बना कर
फूलों से सजा देते थे
नही अच्छा लगा तो
तोड़कर फिर बना देते थे

बच्चो का खेल था
कभी गुड़िया से
कभी गुड्डे से
कभी किसी के खिलोने
से दिल लगा लेते थे
कुछ कम था भी अगर
तो सब बाटकर बराबर
काम चला लेते थे

दूर थे डर से तो
किसी भी घर में घर बना लेते थे
आपने ही घर में नींद आये
ऐसे बहानो से दूर कही भी टेक लगा नींद बुला लेते थे

यकीन मानिए
पूरे आकाश के तारे गिन लेते थे
टूटते हुऐ तारो से भी बहुत कुछ मांग लेते थे
बचपन में छोटे थे
पर काम बड़े कर लेते थे
छोटे तो कद से थे
दिल से बहुत बड़े थे